पीठ दर्द उपचार

कमर टुटना या पीठ दर्द अब केवल मुहावरा नहीं रह गया ꟾ अब यह एक बडे पैमाने पर देखी जानेवाली बीमारी हो गयी है। यह दर्द केवल कमर तक सीमित नही है। आज की जीवनशैली, बैठ कर काम करने की पद्धति के कारण यह सहज रुप से दिखाई देनेवाली बीमारी हो गयी है। एक सर्वे से पता चला हैं कि ६० % से ७५% लोग पीठ दर्द (Back Pain) के शिकार है, और यह काफी गंभीर है। जीवन की भागदौड, तनावपूर्ण जीवनशैली, नि:सत्व आहार, शारीरिक व मानसिक तनाव , नियमित तौर पे कंप्यूटर के सामने काम के कारण पीठ दर्द काफी गंभीर हो गया है।

कोई वजनदार वस्तु उठा लेने से, अस्थि क्षय या कैल्शियम की कमी
के कारण रीढ की हड्डी कमजोर होना, बचपन में ही स्कूल बैग का पीठ पर भार, ज्यादा समय वाहनों से घूमना , लगातार एक जगह बैठना, कुर्सी पर अधिकाधिक समय बैठना, कम्प्युटर पर ज्यादा समय तक काम करना, किसी भी वाहन से यात्रा करते समय रीढ की हड्डी को क्षति पहुँचना, पेट साफ न रहना, रात में जागरण, चिंता, शोक, क्रोध तथा उचित आहार-रस का सेवन न करने के कारण रीढ की हड्डी कमजोर होना, व्यायाम न करना, कुर्सी या अन्य जगह बैठने की शारीरिक स्थिति सही न होना इत्यादि, इन कारणों से पीठ दर्द या कमर दर्द होता है।



रीढ़ की हड्डी के कार्य
सिर से निकलने वाली हजारों तंत्रिकाएं (Nerves) रीढ की हड्डी के छेद से होकर शरीर मे फैलती है (Spinal Cord) यही तंत्रिकाएं शरीर को संवेदना प्रदान कर सिर तक पहुँचाती है, अर्थात संपूर्ण शरीर को अनुभूति देने का काम रीढ की हड्डी (vertebral column) से होता है।    
इसके अलावा रीढ की हड्डी संपूर्ण शरीर का आधार है। हमारा शरीर इसी के सहारे खडा है। इस के कारण पीठ दर्द या कमर दर्द बहुत गंभीर हो सकता है। पीठ दर्द कितना गंभीर हो सकता है यह आपको मेरे यहां आनेवाले रोगियों से पता चल सकता है। कई केसेस में से एक केस आपके सम्मुख प्रस्तुत है।

पीठ दर्द का इलाज कैसे करें
पीठ दर्द से पीडित, लगभग चालीस वर्ष की आयु के एक व्यक्ति आयुर्वेदिक इलाज करना चाहते थे। उनकी पीठ दर्द इतना बढा हुआ था कि खडा रहना, बैठना, या चलना बहुत मुश्किल था। उन्हे कार से उठाकर क्लिनिक मे लाया गया था। जांच के लिए वे लेट भी नही पा रहे थे।
उनकी रिढ की हड्डी मे काम्प्रेशन था। कमर मे भी बहुत दर्द था, झुनझुनी थी।पैरों मे अकडन ( Stiffness ) थी। जांच करने पर पाया गया कि रीढ की हड्डी के काम्प्रेशन के साथ साथ हड्डी भी स्वस्थान पर नही थी। MRI करने पर यह दिखाई दिया कि डिस्क भी जगह से हिल गयी है ( Slipped Disc )। पेंट के कारखाने मे काम करनेवाले इस व्यक्ति को नोकरी पर जाना भी असंभव हो गया था। उन्होने एक लम्बी छुट्टी ले रखी थी। बहुत एलॉपथी दवाइया ली थी , सुझाव​ के अनुसार फिजियोथेरेपी भी लगभग २ महीने तक की थी , ट्रैक्शन भी दिया था , लेकिन फिर भी आराम न पड़ने की वजह से, चिकित्सक ने सर्जरी करने की सलाह दी थी , लेकिन उनके सगे संबधियो में से एक की सर्जरी लम्बर L४-L५ और l5 – S1 में लमेनेक्टोमी की वजह से उनके पेशाब और टट्टी के सेंसेशन चले गए थे और उसकी वजह से वह बहुत ज्यादा सर्जरी से डर​ गए थे , तभी उन्हें पारिजातक आयुर्वेदा और हमारे पीठ दर्द उपचार केंद्र के बारे में पता चला।
Lower back pain Treatment in Nagpur
सर्जरी के बिना सुरक्षित चिकित्सा
यह पीठ दर्द ठीक करने के लिए कम से कम डेढ महीने का उपचार आवश्यक होगा इसकी कल्पना भी नही की गयी थी। पहले सप्ताह मे साधा मसाज, अभ्यंगम और पोटली मसाज किया। मसाज करने हेतु नाडी के अनुसार विशिष्ट परिणामकारक तेल का प्रयोग किया गया। पोटटली मसाज देने की वजह से जो रीड की हड्डी और कशेरुका ( Vertebrae ) में जो भी घातक बदलाव आये थे वो सभी पूर्व स्थिती में लाने के लिये पूर्ण रूप से मदत करता हैं। साथ ही नस्यम और बस्ती क्रिया भी की गयी। नस्यम के कारण तेल सिर मे जाकर विष द्रव्य बाहर पडते है।
रीढ की हड्डी और सुषुम्नाकांड को स्थिरता व बल प्राप्त होता है। बस्ती से ‘वात’ कम होता है,
इस कारण पीठ दर्द भी कम होता है। हड्डीयां मजबूत होती है तथा शरीर के विष द्रव्य पेट से बाहर निकलते है क्योकि पक्वाशय हड्डी और वाट का मूल स्थान हैं और वस्ति द्रव्य सीधे पक्वाशय में डाले जाते हैं। पहले ही सप्ताह मे उस व्यक्ति के स्वास्थ्य मे २०% सुधार देखा गया।
best cure for lower back pain in Nagpur
दुसरे सप्ताह मे कटिबस्ती दी गयी। इस हेतु नाडी के अनुसार तेल बदल लिया गया। कतिबस्तीदेने से वहा स्नेह द्रव बढा साथ साथ वहा की सुजन कम होने में मदत के साथ रीड की हड्ड्दी की मजबूती बढ़ने में मदत हुई। नस्यम व बस्ती जारी रखा।
तिसरे सप्ताह मे कटिबस्ती , नस्यम और बस्ती के साथ लेपन भी किया। अब तक उस व्यक्ति को ५५ से ६०% ठिक लग रहा था।
चौथे सप्ताह मे नस्यम व बस्ती के साथ पिडिचिल किया। पिडिचिल के लिए शरीर पर ४ लिटर बल्य तेल की धारा छोडकर मसाज किया गया।
पांचवे सप्ताह मे पोटली मसाज, नस्यम, बस्ती और पीठ मे बल लाने हेतु नवराकिडी चिकित्सा की गयी। नवराकीडी की वजह से जो भी तंत्रिकाये मर चुकी हैं उनको फिर से जिन्दा करने में मदत होती हैं । जैसे के झुनझुनाहट रहना , हात या पैर के उंगलिया या पूरी पैर या हात का जब संवेदना चली जाती हैं तो वहा पे काम करती हैं।
छठे सप्ताह मे कटीबस्ती, नस्यम, बस्ती, लेपन किया। लेपन लगाने की वजह से पुन्हा वाही स्थिति उत्पन्न न हो या फिर उसी तरह रीड की हड्डी में गैप नहीं आये इसलिए मजबूती बढाई जाती है। इस अवधि मे उपचार का परिणाम होकर इस व्यक्ति को चलने-फिरने के लिए सहारे की आवश्यकता नही रही तथा झुनझुनी, भारीपन और अकडन नही रही।
उपचार के ४ दिन पश्चात वे नौकरी पर जाने लगे। इस उपचार के साथ व्यायाम व पेट से दवा का भी नियोजन किया गया था। हड्डियां स्वस्थान पर स्थापित करना, मसाज द्वारा विकृति ठिक करना, रीढ की हड्डी मजबूत करना, मांसपेशियों को स्थिरता प्रदान करना, बल देना, कशेरुकाओं को मजबूत करना, रीढ की हड्डी का पुनर्भरण करना आवश्यक था। इस सभी का विचार कर चिकित्सा योजना की गयी थी।
Slipped Disc Treatment in Nagpur
कितना भी जटिल और तीव्र पीठ दर्द, सनसनी का नुकसान, ऐंठन, सिहरन हो, ये सभी अतिशीघ्र मतलब लगभग 7 दिन से ६० दिन के अंदर पूरी तरह से ठीक होता हैं।
पीठ दर्द को पूरा जड़ खत्म करना ही ठीक हैं अन्यथा उसके जटिलतांऐ बढ़ जाते हैं।


पीठ के निचले हिस्से में दर्द राहत
  • पीठ दर्द से ग्रस्त व्यक्ति सप्ताह मे एक बार आयुर्वेदिक मसाज कराएं। लगातार कुर्सी मे न बैठे, लगातार ४५ मिनट तक बैठने के पश्चात उठकर तोडा चले।
  • व्यायाम या योगासन रोज करें।
  • पैदल चलने जाएं।
  • पीठ को बड़ा झटका न बैठे इसका ध्यान रखे।
उचित समय पर डॉक्टर की सलाह ले। हर छः माह में एक बार अवश्य सलाह ले। ऐसा करने पर पीठ दर्द बढेगा नही।

पीठ दर्द उपचार के नुस्खे
  • घरेलु नुस्खे
    • गरम पानी मे नमक मिलाकर उसमे टॉवेल भिगोकर, ठिक से पानी निचोड कर उससे पीठ सेके। तुरंत आराम पडता है।
    • रोज नारियल तेल या सरसो तेल मे ४-५ लहसून डालकर काले होने तक तेल गरम करें तथा उससे पीठ का हलका मालिश करें।
    • ओवा तवे पर हलका सा गरम करें ठंडा होने के पश्चात थोडा चबाकर निगल ले। नियमित सेवन से कमर की तकलिफ कम होती है।
    • नरम गद्दे पर न सोए।
  • आयुर्वेदिक नुस्खे
    • महायोगराज गुग्गुल की २-२ गोलियां तीन बार लेने की सलाह दी जाती है। इससे वात और कफ कम होने मे सहायता होती है।
    • सहचरादि कषाय टॅब्लेट २-२ गोलियां तीन बार खाना खाने से पूर्व।
    • पुनर्नवादी कषाय टॅब्लेट २-२ गोलियां तीन बार।प्रकृती बलाबल अनुसार दी जाती है। इससे क्षितिग्रस्त हिस्से की सूजन क्म होने मे सहायता होती है।
    • प्रवाल पंचामृत गुटी – कॅल्शियम से हड्डीयां मजबूत होकर रीढ की हड्डी की मजबूती बढती है।
    • टॅब्लेट सर्विलॉन / सायटिलॉन / स्पाँडिलॉन / गंधतेल आवश्यकता अनुसार पेट से दिया जाता है। इससे पीठ की स्निग्धता बढती है। साथ में एरंड तेल भी दे सकते हैं ।
    • पाचक योग के रुप मे दीपन-पाचन-रोचन करनेवाली (स्वाद बढानेवाली) औषधी दी जाती है। विशेष रुप से आमपाचक वटी, चित्रकादि वटी इस प्रकार की औषधि दी जाती है। साथ ही मांसपेशियों की और कंडरा की मजबूती बढाने वाले अश्वगंधारिष्ट, अमृतारिष्ट, मृतसंजीवनी, बलारिष्ट, दशमुलारिष्ट, दशमुलजिरकारिष्ट आदि औषधियों का प्रयोग किया जाता है।

पीठ दर्द उपचार के लिए व्यायाम (12 minit)
पीठ दर्द उपचार के लिए व्यायाम के लिये परिजातक आयुर्वेदा कुछ विशेष व्यायाम सिखाते हैं जो पीठ दर्द को कम करने मे सहायक होते है। ये व्यायाम योग पर आधारित है तथा इन्हे नियमित रूप से करिए तो काफ़ी आराम मिलता है।
परिजातक आयुर्वेदा पीठ दर्द उपचार के लिए भारत में सबसे अच्छी जगहों में से एक है। पीठ दर्द का उपचार तुरन्त करवाइये अन्यथा यह गम्भीर रूप धारण कर लेता है। परिजातक आयुर्वेदा मे आइये और समय रहते सही उपचार करवाइये।

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